
दुर्ग । शासकीय विभाग में भ्रष्टाचार आज आम बात हो गई है किंतु भ्रष्टाचार की सारी हदें दुर्ग नगर निगम का बाजार विभाग अब पार कर चुका है कुछ साल पहले दुर्ग नगर निगम ने एक एडवरटाइजर कंपनी को 5 साल फ्री में फ्लेक्स बोर्ड लगाने के एवज में 2 पुलिस चौकी बनाने का आपसी अनुबंध किया था जिसके तहत एक पुलिस चौकी नया बस स्टैंड के सामने बन गया। जिस पर दुर्ग पुलिस विभाग के अधिकारी जो धूप बरसात गर्मी ठंड में अपनी ड्यूटी करते हैं उनके लिए एक बैठक की व्यवस्था हो गई वही एक पुलिस चौकी दुर्ग शहर के व्यस्ततम बाजार इंदिरा मार्केट में भी बनाई गई । एडवर्टाइज द्वारा पुलिस चौकी बनाकर निगम के सपूत कर दिया गया नियमानुसार निगम प्रशासन को इसे पुलिस विभाग को सपोर्ट करना था ताकि हमारे पुलिस के जवान जो हर मौसम में ड्यूटी करते हैं उनके लिए एक बैठक की व्यवस्था हो परंतु भ्रष्टाचार का आलम ऐसा है की उस पुलिस चौकी पर अब दुकान खुल गई है जिसकी जानकारी नगर निगम के बाजार अधिकारी को पूरी तरह से है बावजूद इसके अवैध रूप से खुली दुकान पर निगम प्रशासन किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं कर रहा । बाजार क्षेत्र में ऐसी चर्चा है कि लाखों-करोड़ों कि इस दुकान को देने में लाखों रुपया का लेनदेन टेबल के नीचे से हुआ है ऐसे में शक की सुई बाजार विभाग और बाजार अधिकारी के ऊपर जाती है इस मामले में जब बाजार अधिकारी से जानकारी चाही गई तो उन्होंने गोलमोल जवाब दे दिया किंतु आंतरिक सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि बिना किसी दस्तावेज के ग्रुप के किसी कद्दावर नेता और विभाग की मिलीभगत से जो पुलिस चौकी पुलिस विभाग के लिए बनी है अब वह व्यापार केंद्र बन गई है भ्रष्टाचार के इस आलम में शहर में विकास और सुशासन की बात करने वाली कांग्रेस सरकार आखिर कहां तक सुशासन कर रही इस पर जनता को शक है देखना यह है कि शहर में विकास की बात करने वाले विधायक अरुण वोरा क्या मामले को गंभीरता से लेंगे और उक्त दुकान जो पुलिस चौकी के लिए निर्मित हुई है उसे पुलिस विभाग को सौंपेंगे या फिर एक बार फिर टेबल के नीचे लेन-देन का खेल चल मामले को दबा दिया जाएगा।
