नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ

नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ जिला न्यायाधीश वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के अध्यक्ष ने सुबह 10:30 बजे किया।इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय दुर्ग, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अलावा अधिवक्ता संघ दुर्ग के सचिव रवि शंकर सिंह एवं अन्य पदाधिकारी, न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण, विभिन्न बैंक के वरिष्ठ अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे। नेशनल लोक अदालत में 648572 मामलों का निराकरण हुआ जिसमें अवार्ड राशि 790318060 रही।
नेशनल लोक अदालत में कुल 29 खंडपीठ का गठन किया गया था। परिवार न्यायालय दुर्ग के लिए तीन खंडपीठ, जिला न्यायालय दुर्ग के लिए 20, तहसील व्यवहार न्यायालय भिलाई तीन में एक खंड पीठ, तहसील व्यवहार न्यायालय पाटन में दो खंडपीठ का गठन किया गया था। इस नेशनल लोक अदालत में राजीनामा योग्य दांडिक, सिविल, परिवार, मोटर दुर्घटना दावा से संबंधित प्रकरण रखे गए तथा उनका निराकरण आपसी सुलह समझौते के आधार पर किया गया। भारतीय स्टेट बैंक इंडिया आदर्श नगर शाखा का एक प्री लिटिगेशन मामला जिसमें पक्षकार रंजीत सिंह राजपूत द्वारा संबंधित बैंक शाखा से 11 लाख रुपए का लोन दिया गया था जिसमें 68 हजार रुपए लेना शेष रह गया था। जिसे आज नेशनल लोक अदालत की तिथि में ही जमा करना था किंतु रंजीत द्वारा संबंधित राशि एक मुक्त जमा करने में असमर्थता जाहिर की गई। इस दौरान बैंक के द्वारा इस पक्षकार से 20000 रुपए की राशि वर्तमान में चेक के माध्यम से जमा ली गई। राशि को आगामी 6 माह में बिना ब्याज के अदा करने आपसी राजीनामा हुए।
लोक अदालत में 515 दांडिक प्रकरण, 98 क्लेम के प्रकरण, 107 पारिवारिक मामले, चेक अनादरण के 413 मामले, व्यवहार वाद के 99 मामले, श्रम न्यायालय के 22 मामले, स्थाई लोक अदालत के कुल 7000 मामले निराकृत हुए।
पति-पत्नी के आपसी राजीनामा से आपराधिक मामला हुआ समाप्त
पीठासीन अधिकारी भूपेश कुमार बसंत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में आपसी राजीनामा से पति-पत्नी के बीच चल रहे विवाद को समाप्त किया गया।
पीसे गांव निवासी बलिराम जो दिव्यांग बुजुर्ग व्यक्ति था इसके विरुद्ध एक मामला विद्युत केंद्र अंडा में प्री लिटिगेशन के रूप में 14,516 रुपए वसूली के लिए लोक अदालत के माध्यम से प्रस्तुत किया गया था। दिव्यांग वृद्ध की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। जिसकी जानकारी होने पर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा सुना गया।कुल राशि में से 7000 की राशि को माफ किया गया। इसी तरह कई मामले सुलझाए गए।

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