स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव के गृह क्षेत्र कसारीडीह में खुलकर अवैध प्लाटिंग — क्या विभागीय वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी का ‘सुशासन’ अब सिर्फ रीलों तक सीमित रह गया है?
स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव के गृह क्षेत्र कसारीडीह में खुलकर अवैध प्लाटिंग — क्या विभागीय वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी का ‘सुशासन’ अब सिर्फ रीलों तक सीमित रह गया है?
दुर्ग। शहर के वार्ड क्रमांक 42, कसारीडीह क्षेत्र में इन दिनों खुलेआम अवैध प्लाटिंग और भवन निर्माण का खेल जारी है। बिना भवन अधिकारी की अनुमति के धड़ल्ले से प्लाटिंग हो रही है, और यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब यह क्षेत्र प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री एवं दुर्ग विधानसभा क्षेत्र के विधायक गजेंद्र यादव का गृह क्षेत्र है।
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि भवन शाखा और क्षेत्रीय निरीक्षक शिकायतों पर मौन हैं। शिकायतों के बाद केवल कागज़ी कार्रवाई और औपचारिक नोटिस जारी कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। वहीं, गरीबों के ठेले और रेहड़ियों को हटाने में निगम प्रशासन का पूरा दल-बल सक्रिय दिखता है, लेकिन जब बात अवैध प्लाटिंग करने वालों की आती है, तो वही प्रशासन निशब्द और निष्क्रिय हो जाता है।
वहीं दूसरी ओर, राज्य के वित्त एवं राजस्व विभाग के मंत्री ओ.पी. चौधरी सार्वजनिक मंचों पर लगातार सुशासन और पारदर्शिता की बात करते हैं। लेकिन उनके विभाग के अंतर्गत आने वाले राजस्व, तहसील और पंजीयन कार्यालयों की भूमिका इस मामले में संदिग्ध दिखाई देती है। यही कारण है कि जनता सवाल उठा रही है कि क्या सुशासन अब केवल सोशल मीडिया की रीलों और भाषणों तक सीमित रह गया है?
कसारीडीह क्षेत्र में कई भूखंड ऐसे हैं जिन पर बिना वैधानिक अनुमति के भवन निर्माण या प्लाटिंग का कार्य पूरा हो चुका है, परंतु नगर निगम के रिकॉर्ड में कोई ठोस कार्रवाई दर्ज नहीं है। सूत्रों का कहना है कि क्षेत्रीय निरीक्षकों की चुप्पी के पीछे बड़ा खेल छिपा है, क्योंकि शिकायतों के बावजूद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही।
स्थानीय नागरिक अब यह सवाल उठा रहे हैं —
“क्या यही है मंत्री गजेंद्र यादव का गृह क्षेत्र, जहाँ प्रशासन सुशासन की जगह मौन शासन चला रहा है?”
प्रदेश के दो कैबिनेट मंत्री — एक ओर दुर्ग विधायक और शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव, दूसरी ओर विभागीय रूप से जिम्मेदार वित्त व राजस्व मंत्री ओ.पी. चौधरी — दोनों के नाम जुड़े होने के बावजूद भी कसारीडीह में अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई न होना, यह साफ़ संकेत देता है कि कहीं न कहीं प्रशासनिक संरक्षण का जाल फैला हुआ है।
राजस्व विभाग, तहसील कार्यालय, पंजीयन शाखा, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगर निगम — सभी विभागों की निष्क्रियता और मौन सहमति यह दर्शाती है कि कानून अब केवल फाइलों में सिमट गया है, ज़मीन पर नहीं।
जनता में चर्चा यह भी है कि “महतारी वंदन” और “सुशासन” के नारों के बीच अब भ्रष्टाचारियों को खुली छूट मिल गई है। मंत्रीगण मंचों से विकास की बातें कर रहे हैं, लेकिन उनके गृह क्षेत्र की हकीकत यह है कि अवैध प्लाटिंग करने वालों के हौसले सरकार से भी ऊँचे हो चुके हैं।
अब बड़ा सवाल यह है —
“क्या मुख्यमंत्री तक यह रिपोर्ट पहुँचेगी कि दुर्ग विधानसभा क्षेत्र, जो कैबिनेट मंत्री गजेंद्र यादव का गृह क्षेत्र है, वहाँ प्रशासनिक तंत्र खुलकर अवैध प्लाटिंग करने वालों का संरक्षक बना हुआ है? और क्या विभागीय मंत्री ओ.पी. चौधरी अपने ही राजस्व व वित्त विभाग के इस ढीले रवैए पर संज्ञान लेंगे?”