दुर्ग। जिले में अपराध का ग्राफ थमने का नाम नहीं ले रहा है। हत्या,हत्या की कोशिश, नशे से जुड़ी आपराधिक घटनाओं ने जिले की शांति को भंग कर दिया है। हालांकि पुलिस अपराध पर अंकुश लगाने को लेकर कई तरह के दावे करती है परंतु सच्चाई यही है कि अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। पेट्रोलिंग पार्टी की कमी पूरे शहर में देखी जा रही है। पुलिस की निष्क्रियता के चलते अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं।
वर्ष 2024 में दुर्ग जिले में 61 हत्याएं दर्ज हुई है। पिछले 3 वर्षों में यह संख्या लगभग दोगुनी हो चुकी है। 2025 के सिर्फ 7 महीने में ही 11 हत्याएं और 114 हत्या के प्रयास दर्ज हो चुके हैं। दिवाली के बाद से लेकर अब तक कई हत्याएं हो चुकी है। नशाखोरी के बढ़ते चलन और पुलिस की नाकामी अपराध को बढ़ाने में सक्षम हो रही है। पुलिस ने दावा किया कि उसने नशे के खिलाफ सख्त अभियान चलाते हुए 960 किलो गांजा, 406 ग्राम ब्राउन शुगर और 497 ग्राम हीरोइन बरामद की है, इसके बावजूद युवाओं में नशा होना आम बात हो गई है। चाकू बाजी के मामले लगभग हर थाना क्षेत्र में हो रहे हैं। नशे का सामान उड़ीसा, पंजाब से दुर्ग तक पहुंच रहा है परंतु उस नशे को युवाओं तक पहुंचने से रोकने में पुलिस पूरी तरह सक्षम नजर नहीं आ रही है ।नशा करने के बाद अपराधी किसी भी तरह के अपराध को करने में पीछे नहीं है वही चाकू बाजी करना आम हो चला है। लोगों का कहना है कि पेट्रोलिंग टीम सक्रिय नहीं रहती है। क्षेत्र में कभी कभार ही पेट्रोलिंग टीम और पुलिस की गाड़ियां नजर आ रही है। हर थाना में कम से कम दो पेट्रोलिंग वाहन की आवश्यकता है जिससे क्षेत्र में शांति बनाई रखी जा सके। लोग अब पूछ रहे हैं कि एसपी साहब आखिर कब तक लाशें गिरते रहेगी और पेट्रोलिंग सिर्फ कागजों पर ही चलते रहेगी, शहर में शांति कब होगी।
