दुर्ग। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाने वाला हलषष्ठी व्रत (कमरछठ) मंगलवार 14 अगस्त को शहर में आस्था और श्रद्धा के साथ सम्पन्न हुआ। सुबह 7 बजे से शंकर नगर, गोड़ीन बाड़ी और आसपास के इलाकों के घर-घर में माताओं ने पूजन-अर्चन कर अपने पुत्रों की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना की।
पूजन के दौरान घरों में विशेष सजावट की गई, व्रतधारी माताओं ने परंपरागत रीति से बलराम जी, हल, बैल, और कृषिकर्म से जुड़े प्रतीकों की पूजा की। महिलाओं ने व्रत कथा का वाचन किया और पारंपरिक भजन-कीर्तन के सुरों से वातावरण भक्तिमय बना दिया।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, द्वापर युग में भाद्रपद कृष्ण षष्ठी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को बलराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। बलराम को कृषि और हल जोतने का देवता माना जाता है, इसलिए इस व्रत में हल- बैल और अन्न-जल को विशेष महत्व दिया जाता है।
व्रत के दिन महिलाएं अन्न, दूध और दही का सेवन नहीं करतीं, बल्कि पारंपरिक नियमों का पालन करते हुए दिनभर उपवास करती हैं। शाम को संतान के मंगल की प्रार्थना के साथ व्रत का समापन किया गया।
