दुर्ग। राजनीति में कुछ चेहरे सिर्फ भीड़ का हिस्सा नहीं होते, बल्कि दिशा तय करते हैं। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष जितेंद्र वर्मा ऐसे ही नेता के रूप में जाने जाते हैं, जिनकी पहचान केवल पद से नहीं, बल्कि संगठनात्मक कौशल, त्याग और अटूट नेतृत्व क्षमता से होती है। उन्होंने कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले दुर्ग में बिखरे कार्यकर्ताओं को एकजुट कर भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई। आज, 10 अगस्त को उनके जन्मदिन पर, उनके संघर्ष और उपलब्धियों को याद किया जा रहा है।

कठिन परिस्थितियों में संभाली कमान
जब जीतेंद्र वर्मा को दुर्ग भाजपा की कमान सौंपी गई, उस समय हालात बेहद चुनौतीपूर्ण थे। प्रदेश में कांग्रेस की मजबूत सरकार, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह जिला होने के कारण दुर्ग में भाजपा का कमजोर जनाधार और एक भी विधानसभा सीट न होना – ये सब बड़ी बाधाएँ थीं। पाटन के एक छोटे से गाँव से आए वर्मा के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी निराश और टूटे हुए कार्यकर्ताओं में फिर से जोश भरना और उन्हें एकजुट करना।

एकता का मंत्र और बदलाव की शुरुआत
पद संभालते ही उन्होंने गुटबाजी की दीवारें तोड़ीं, हर कार्यकर्ता को सम्मान दिया और “एक आवाज, एक लक्ष्य” का मंत्र देकर सभी को एक मंच पर लाया। आंदोलन फिर से सड़कों पर लौटे, सभाओं में भीड़ बढ़ी और कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊँचा हुआ।

विधानसभा में बदल दिया समीकरण
उनके नेतृत्व में हुए विधानसभा चुनावों ने दुर्ग की राजनीति की तस्वीर बदल दी। साजा से ईश्वर साहू, अहिवारा से डोमन लाल कोर्सेवाड़ा, दुर्ग ग्रामीण से ललित चंद्राकर और दुर्ग शहर से गजेंद्र यादव ने जीत दर्ज की। पाटन में सांसद विजय बघेल ने पूर्व मुख्यमंत्री को कड़ी टक्कर देकर अन्य सीटों पर जीत का रास्ता आसान बनाया।

संगठनात्मक और व्यक्तिगत उपलब्धियाँ
उनके कार्यकाल में दुर्ग भाजपा ने सदस्यता अभियान में प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया। मंडल अध्यक्षों के चुनाव में सामंजस्य का ऐसा उदाहरण पेश किया, जो आज भी कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत है।
नगरीय निकाय चुनावों के दौरान, जब उनके पिता गंभीर रूप से बीमार थे और वे स्वयं भी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे, तब भी उन्होंने चुनावी जिम्मेदारी निभाई और पार्टी को चारों ओर जीत दिलाई। कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों से उन्होंने संगठन को समाज के हर वर्ग से जोड़ा।

विरासत और जन्मदिन का उत्सव
5 जनवरी को नए जिलाध्यक्ष के पदभार ग्रहण के बाद वर्मा पद से मुक्त हुए, लेकिन एक मजबूत संगठन और कार्यकर्ताओं में जीत का आत्मविश्वास छोड़ गए।
आज उनके 53वें जन्मदिन पर बधाई देने वालों का ताँता लगा रहा। दिन की शुरुआत पर्यावरण संरक्षण के संकल्प से हुई — पाटन के सेलूद गाँव में वृक्षारोपण, फिर कौही के शिव मंदिर में पूजा-अर्चना और पाटन में भव्य उत्सव, जिसमें हजारों कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों ने भाग लिया। यह उनके प्रति सम्मान और स्नेह का प्रमाण है, जो उन्होंने अपने कर्म और त्याग से अर्जित किया।