मानव तस्करी एवं धर्म परिवर्तन के मामले मे जेल निहित दोनों नन से मिलने आज भी जनप्रतिनिधि केंद्रीय जेल में पहुंचे

मानव तस्करी एवं धर्म परिवर्तन के मामले मे जेल निहित दोनों नन से मिलने आज भी जनप्रतिनिधि केंद्रीय जेल में पहुंचे। अन्य प्रदेश से आए प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात कर उनका हाल जाना और मामले के बारे में विस्तार से चर्चा की। मुलाकात के बाद बाहर निकली सीपीएम नेता वृंदा करात ने कहा कि दोनों ही नन की तबीयत खराब है और उन्हें जमीन पर सुलाया जा रहा है। उन पर लगे आरोप भी बेबुनियाद है जो शिकायत दर्ज हुई है उसे वापस लेना चाहिए। बिना किसी बात को सुने और बिना पक्ष जाने हड़बड़ी में मामला दर्ज कर दिया गया है।
बुधवार की सुबह केंद्रीय जेल में सीपीआई के सांसद वृंदा करात, के राधाकृष्णन, एनी राजा, ए ए रहीम, पी सुनीर, जोश के मनी का एक प्रतिनिधिमंडल पहुंचकर दोनों ही नन से चर्चा की और उनका हाल-चाल जाना। सांसदों ने इस मामले को फर्जी और राजनीति से प्रेरित करार देते हुए राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर आरोप लगाए हैं। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि बीजेपी की सरकार संकीर्ण मानसिकता को लेकर काम कर रही है। टीम ने बताया कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जीआरपी के सामने ही उनके साथ झूमा झटकी की। छत्तीसगढ़ में कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है और गुंडो का राज चल रहा है।

विधायकगण भी पहुंचे थे मिलने

प्रतिनिधि मंडल द्वारा नन से मुलाकात कर लिए जाने के थोड़ी देर बाद केरल के विधायक एवं नेता प्रतिपक्ष रोजिम जॉन, विधायक संजीव जोषक, आईसीसी के बृजेश, नन के भाई बाईज एवं सुदिश भी दोनों नन से मिलकर उनका हाल-चाल जाना।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल सीपीआई के सांसदों में बृंदा करात, एनी राजा, के. राधाकृष्णन, जोश के मनी, एए रहीम और पीपी सुनीर शामिल थे। ये सभी सांसद मंगलवार को भी जेल पहुंचे थे, लेकिन देर होने के कारण उन्हें मुलाकात की अनुमति नहीं मिल सकी थी। बुधवार सुबह नौ बजे के करीब प्रतिनिधिमंडल ने जेल में दोनों ननों से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य व जेल में हो रहे व्यवहार के बारे में जानकारी ली। मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सीपीएम नेता बृंदा करात ने कहा कि जो हमने सुना और देखा उससे हमें बहुत दुख हुआ है। दोनों नन गरीबों के बीच सालों से सेवा कार्य कर रही थीं। उन्हें एक फर्जी मामले में फंसाकर जेल में डाल दिया गया है। ये छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार की संकीर्ण मानसिकता और एजेंडे का हिस्सा है। करात ने आगे बताया कि ननों की तबीयत खराब है, उन्हें आर्थराइटिस और बुखार है, फिर भी उन्हें जमीन पर सुलाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जीआरपी के सामने ही उनकी पिटाई की और बयान बदलवाने का दबाव डाला।
उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि यहां रूल आफ ला नहीं, गुंडों का राज चल रहा है। यह पूरी कार्रवाई ग़ैर-क़ानूनी, असंवैधानिक और मानवता के खिलाफ है। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है प्राथमिकी को तुरंत वापस लिया जाए। दोनों ननों को बिना शर्त रिहा किया जाए, बजरंग दल और पुलिस कर्मियों की भूमिका की जांच हो। आदिवासी युवकों को बयान बदलवाने के लिए धमकाया गया, इस पर भी कार्रवाई हो। मतांतरण और मानव तस्करी के आरोप गलत हैं।

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