मामला अधिकार क्षेत्र से बाहर, एनआईए कोर्ट में होगी सुनवाई

दुर्ग,, मानव तस्करी एवं धर्मांतरण के मामले में जेल निहित दोनों नन के जमानत आवेदन पर सुनवाई बुधवार को हुई। अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ एफटीसी अनीश दुबे की कोर्ट में आवेदन लगाया गया था। न्यायालय ने दुर्ग क्षेत्र में हुई मानव तस्करी का मामला होने पर स्वयं के क्षेत्राधिकार से बाहर बताते हुए इसे बिलासपुर ट्रांसफर कर दिया है। उन्होंने कहा कि दुर्ग क्षेत्र में मानव तस्करी से संबंधित प्रकरण की सुनाई के लिए बिलासपुर में न्यायालय बना हुआ है। न्यायालय ने आरोपियों की ओर से जमानत के लिए बिलासपुर न्यायालय में आवेदन लगाने कहा। अब इस मामले की सुनवाई एनआईए कोर्ट बिलासपुर में होगी। न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टि या राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण अधिनियम 2008 के मामले को उन्हें श्रवण करने का अधिकार नहीं है। मामले को एनआईए को सौंप दिया गया है, केंद्र सरकार अब इस मामले को देखेगी। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने विवेचक को भी फटकार लगाते हुए कहा कि आनन फानन में मामले की विवेचना की गई है। न्यायालय ने पूछा कि मानव तस्करी के मामले में अपराध दर्ज करने से पहले केंद्र सरकार से अनुमति ली गई है या नहीं इस पर विवेचना अधिकारी ने जानकारी दी कि उन्होंने अनुमति नहीं ली है।
आरोपियों द्वारा सत्र न्यायालय में जमानत आवेदन लगाए जाने की जानकारी मिलते ही सुबह से न्यायालय के सामने बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद सहित अन्य संगठन के पदाधिकारी गण एवं सैकड़ो कार्यकर्ता एकत्र हो गए थे और उन्होंने जमकर नारेबाजी की। इस दौरान पुलिस ने सुरक्षा की तगड़ी व्यवस्था रखी हुई थी। चारों तरफ बैरिकेट्स लगा दिए थे। भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। कोर्ट के भीतर किसी को भी बिना अनुमति प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा था। इसके कारण रोड पर भी जाम लग गया था। न्यायालय में आरोपीगण नन प्रीति मेरी, वंदना फ्रांसिस एवं एक अन्य युवक की ओर से राजकुमार तिवारी एवं प्रार्थी की ओर से नीरज राठौर ने पैरवी की थी। राज्य शासन की ओर से लोग कभी योजक एमके दिल्ली बार विशेष लोग अभियोजक प्रकाश शर्मा, सूरज शर्मा, संजय सिंह,अनिल जायसवाल ,आशीष शर्मा, भावेश कटारे आदि उपस्थित थे।

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