अडानी समूह पर लगे वित्तीय अनियमितताओं के मामले में जवाब दे केंद्र सरकार : देशवासियों के सामने पूरी रिपोर्ट रखना जरूरी : खरबों रुपए के मामले में पीएम मोदी और वित्त मंत्री चुप क्यों हैं : राजेंद्र साहू

दुर्ग/निशांत ताम्रकार/अडानी पर अमरीकी रिसर्च कंपनी की रिपोर्ट सामने आने से पहले ईडी, इंकम टैक्स, सेबी, आरबीआई जैसी संस्थाएं अलर्ट क्यों नहीं रही : क्या सिर्फ विपक्ष को अकारण घेरना ही एकमात्र उद्देश्य

देश की कितनी संपत्ति अडानी समूह के पास , खुलासा करे केंद्र सरकार अडानी समूह के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के खुलासे वाली रिपोर्ट के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री राजेंद्र साहू ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। राजेंद्र ने कहा कि खरबों रुपए के हेरफेर के आरोपों का मामला होने और एलआईसी व एसबीआई जैसी संस्थाओं का हजारों करोड़ रुपए फंसा होने के कारण देशवासियों के सामने पूरी स्थिति स्पष्ट होना चाहिए। राजेंद्र ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को इस मामले की पूरी जानकारी देशवासियों के सामने रखना चाहिए।

राजेंद्र ने कहा अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर बड़े आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट में उद्योगपति गौतम अडानी समूह पर खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। जो आरोप लगे हैं, उनकी व्यापक स्तर पर जांच कराना आवश्यक है। रिजर्व बैंक और सेबी जैसी संस्थाओं द्वारा इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।

राजेंद्र ने कहा कि अडानी समूह को देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई ने अरबों रुपए का लोन दिया है। प्रारंभ से ही लाभ की संस्था रही एलआईसी का अरबों रुपए अडानी समूह में निवेश कराया गया है। देश की सबसे बड़ी संपत्तियों में शुमार एयरपोर्ट, रेलवे, कोल ब्लाक को अडानी समूह को लीज पर दिया गया है। देशवासियों को यह बताना जरूरी है कि लीज पर दी गई सरकारी संपत्तियों को गिरवी रखकर तो भारी भरकम अरबों रुपए का लोन नहीं लिया गया है।

राजेंद्र ने कहा कि वित्तीय मामलों से जुड़ा इतना बड़ा मामला अमरीकी रिसर्च कंपनी द्वारा उजागर किये जाने से पहले ईडी, आईटी, सेबी, आरबीआई जैसी संस्थाएं अलर्ट क्यों नहीं हुई, यह बड़ा सवाल है। इंकम टैक्स, सीबीआई और ईडी जैसी संस्थाओं के पास क्या सिर्फ विपक्षी दलों को अकारण परेशान करने का काम रह गया है। कुछ करोड़ रुपए की वित्तीय ऊंचनीच होने पर छोटे उद्योगपतियों, व्यवसाइयों के संस्थानों में ईडी और आईटी की टीम की रेड पड़ने लगती है। खरबों रुपए के हेरफेर के इस मामले में देश की बड़ी वित्तीय संस्थाओं ने चुप्पी क्यों साध ली।

राजेंद्र ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों के कार्यकाल में रेल दुर्घटना, वित्तीय अनियमितता होने पर संबंधित विभाग के मंत्री इस्तीफा दे देते थे, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी गौतम अडानी से जुड़े मामले में न तो पीएम कोई जिम्मेदारी ले रहे हैं, न वित्त मंत्री ने कोई जवाबदारी ली है। सरकार चलाने में हर विफलता के बाद सांप्रदायिकता, धर्म-जाति और राष्ट्रवाद का कार्ड खेलने वाले भाजपा की केंद्र सरकार क्या इस वित्तीय मामले में भी वही कार्ड दोबारा खेलने की तैयारी कर रही है।

राजेंद्र ने कहा कि इस मामले की गहराई से जांच करना आवश्यक है। एलआईसी और एसबीआई सहित किन संस्थाओं का अरबों खरबों रुपया अडानी की कंपनी में लगाया गया है, इसका भी खुलासा होना जरूरी है। कंपनी पर इंकम टैक्स, जीएसटी की देनदारियों सहित बैकों से लिए गए लोन की पूरी जानकारी भी देश के सामने रखना चाहिए। वैसे भी अडानी समूह और वर्तमान सरकार के बीच घनिष्ठ संबंध को पूरी दुनिया जानती है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को’दुर्भावनापूर्ण’ करार देकर खारिज करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।

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