दुर्ग। स्थानीय स्वयंभू हनुमान प्राचीन सिद्धपीठ किल्ला मंदिर तमेरपारा में शबरी मानस मंडली के तत्वाधान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पाँचवें दिवस पर चित्रकूट से पधारे पूज्य भरत जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के पावन बाल चरित्र का मनोरम वर्णन किया।
महाराज ने कहा कि सृष्टि में सर्वोच्च सौंदर्य केवल परमात्मा का है, जो निरंतर बढ़ता ही जाता है। पूतना वध प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने बताया कि पूतना जीव की अविद्या का प्रतीक है, जो परमात्मा की कृपा मिलने पर नष्ट हो जाती है। तृणावर्त कथा के माध्यम से उन्होंने समझाया कि तिनके की तरह माया में बहता जीव भी भगवान की कृपा से ही उद्धार पाता है।
माखन चोरी लीला का वर्णन करते हुए महाराज ने कहा कि माखन और मिश्री जीवन में भक्ति और स्नेह की मधुरता का प्रतीक हैं, जिसे श्रीकृष्ण स्वयं स्वीकार करते हैं। यशोदा द्वारा भगवान को दाम से बांधने की कथा में उन्होंने बताया कि उसी दिन से कृष्ण “दामोदर” कहलाए और बंधन में रहते हुए भी जीवों को मुक्त करने का संदेश दिया।

कालिय नाग को अहंकार का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि भगवान अपनी चरण कृपा से अहंकार का नाश कर देते हैं। गोवर्धन लीला पर उन्होंने कहा कि यह ज्ञान का शिखर है, जहाँ भगवान ने प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया—“प्रकृति बचेगी तो मानव जीवन भी सुरक्षित रहेगा।”
महाराश कथा प्रसंग में महाराज ने जीव और ब्रह्म के मिलन की दिव्य लीला का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखने वाली आत्मा ही गोपी का स्वरूप धारण करती है और परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग खोजती है। भगवान ने वृंदावन के पावन कुंजों में नाद-ब्रह्म बांसुरी की धुन से सभी आत्माओं को अपने परम स्वरूप में लीन कर लिया।
कार्यक्रम के दौरान सुंदर झांकियों का भी दिव्य दर्शन कराया जा रहा है, जिनमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचकर कथा का आनंद ले रहे हैं। यह पूरा आयोजन शबरी मानस मंडली द्वारा श्री हनुमान जी के प्राचीन किला मंदिर परिसर में किया जा रहा है।
आज कथा में रुक्मणी–कृष्ण विवाह का शुभ आयोजन होगा, साथ ही आकर्षक झांकियों का भी दर्शन कराया जाएगा।
