राजनांदगांव जिले के ग्राम अंजोरा में कल्याणी इस्पात लिमिटेड की प्रस्तावित विस्तार परियोजना को लेकर ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी गहरी चिंता और आशंकाएं व्यक्त की हैं। 28 अगस्त 2025 को आयोजित लोक सुनवाई में कंपनी के विकास के वादों और जमीनी हकीकत के बीच के अंतर को लेकर तीखी बहस देखने को मिली। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह परियोजना क्षेत्र में विकास के बजाय पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए खतरा बनेगी।
विकास का मुखौटा या विनाश का खतरा? कल्याणी इस्पात ने अपने इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट की क्षमता को दोगुना करने और परियोजना क्षेत्र को 38.68 हेक्टेयर से बढ़ाकर 84.021 हेक्टेयर करने का प्रस्ताव दिया है। कंपनी ने दावा किया है कि इस विस्तार से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा। हालांकि, ग्रामीणों और स्थानीय प्रतिनिधियों ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि अक्सर कंपनियां शुरुआत में ऐसे वादे करती हैं, लेकिन बाद में प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझती जनता को अकेला छोड़ देती हैं। उनका कहना है कि इस परियोजना से क्षेत्र में प्रदूषण और बीमारियों का प्रकोप बढ़ेगा, जिससे स्थानीय लोगों का जीवन संकट में पड़ जाएगा।
नियमों का उल्लंघन और जनभावनाओं की अनदेखी
इस मामले में सबसे गंभीर आरोप यह है कि कंपनी ने अभी तक पर्यावरण विभाग से पूर्ण अनुमति प्राप्त नहीं की है, फिर भी उसने परियोजना पर काम शुरू कर दिया है। इसे नियमों का खुला उल्लंघन और असंवैधानिक कार्य बताया गया है। ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि जो कंपनी शुरुआत से ही कानून की अनदेखी कर रही है, उस पर भविष्य में कैसे भरोसा किया जा सकता है।
लोक सुनवाई के दौरान यह भी आरोप लगा कि कंपनी ने ग्रामीणों का समर्थन हासिल करने के लिए पैसों का इस्तेमाल किया और अपने स्वास्थ्यकर्मियों को स्थानीय प्रतिनिधियों के रूप में खड़ा किया। इस तरह के हथकंडे चुनाव के दौरान नेताओं द्वारा अपनाए जाने वाले वादों के समान हैं, जो बाद में भुला दिए जाते हैं।
प्रशासन से उम्मीद और आगे की राह
ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि वे जनता की आवाज सुनें और लालच से ऊपर उठकर इस परियोजना का विरोध करें, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना विकास की जगह विनाश लाएगी। अब सबकी निगाहें प्रशासन और शासन पर हैं कि वे इस गंभीर मामले को नजरअंदाज न करें और नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनी पर कड़ी कार्रवाई करें।