शैक्षणिक युक्तियुक्तकरण के तहत खुशबू जैसे नन्हे बच्चों को अब खेल, कविता और कहानियों के माध्यम से सीखने का मिल रहा अवसर

दुर्ग, 06 अगस्त 2025/ धमधा विकासखंड के ग्राम तुमाखुर्द में एक सरकारी प्राथमिक शाला है। जहां पहली से पांचवी तक के बच्चे पढ़ाई करते हैं। जहां 19 बच्चे अध्ययनरत हैं। लेकिन शिक्षक के अभाव में बच्चों को शिक्षा नही मिल पाती थी। पहली से पांचवी तक के बच्चों को केवल एक ही शिक्षक पढ़ाते थे। रोज सभी कक्षाओं में बच्चों को पढ़ाई नही हो पाती थी। रोज पढ़ाई नही होने के कारण बच्चे स्कूल नही जाते थे। शिक्षा व्यवस्था में सुधार होने के बाद शिक्षा में गुणवत्ता आई है। बच्चों की दर्ज संख्या के आधार पर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया की गई है। पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध होने से बच्चों का भी मन लगने लगा है। यह शिक्षा नीति में बदलाव आने के कारण संभव हो पाया है। जहां पहले बच्चों की दर्ज संख्या कम होती थी वहां अब शत्-प्रतिशत् उपस्थिति रहती है।
बच्चों की किलकारिया वहां सुनाई नहीं देती थीं, क्योंकि एक ही शिक्षक उपस्थित रहते थे। अभिभावकों की चिंता बढ़ती जा रही थी, खासकर खुशबू के माता-पिता की, जिनकी बेटी पढ़ना चाहती थी लेकिन हालात उनका साथ नहीं दे रहे थे। ऐसे में वे असहाय थे और खुद को किस्मत के भरोसे छोड़ चुके थे। शिक्षा विभाग द्वारा किए गए युक्तियुक्तकरण के तहत स्कूल में आखिरकार एक योग्य शिक्षक की नियुक्ति हुई। स्कूल में बच्चों की चहल-पहल शुरू हो गई। खुशबू भी अब हर सुबह मुस्कान के साथ स्कूल जाती है। वह कहती है अब स्कूल आना बहुत अच्छा लगता है। हमे नए-नए खेल सिखाए जाते हैं, कविताएं पढ़ाई जाती हैं और कहानियां सुनाई जाती हैं। खुशबू जैसे नन्हें बच्चों को शिक्षा नीति के माध्यम से न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिली, बल्कि उन्हें एक नई दिशा और अवसर भी मिला। आज स्कूल में 19 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। शिक्षक का समर्पण और बच्चों की जिज्ञासा ने स्कूल का माहौल पूरी तरह बदल दिया है। एक समय था जब यह स्कूल वीरान थी, आज वहां बच्चों व शिक्षकों की गुंज सुनाई देती है। बच्चों के अभिभावक भी संतुष्ट हैं कि उनके बच्चे अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *