छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है, जब ध्रुव कुमार ‘लंगूर’ सोनी ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय मजदूर संघ का दामन थाम लिया है। सोनी को भारतीय मजदूर संघ ने प्रदेश महासचिव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है, जो उनके अनुभव और जमीनी समझ को दर्शाता है।
कांग्रेस की अनदेखी से आहत थे सोनी
ध्रुव कुमार ‘लंगूर’ सोनी वर्षों से कांग्रेस के साथ जुड़े रहे और पार्टी के लिए दिन-रात काम किया। हालांकि, जब उन्हें संगठन से उपेक्षा और चुप्पी मिली, तो उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया। सोनी का कहना है कि जिला कांग्रेस के कुछ नेताओं की चाटुकारिता आधारित राजनीति ने जमीनी नेताओं को हाशिए पर धकेल दिया।
भारतीय मजदूर संघ के लिए एक बड़ा लाभ
ध्रुव कुमार ‘लंगूर’ सोनी के भारतीय मजदूर संघ में शामिल होने से संगठन को एक बड़ा लाभ होगा। सोनी के अनुभव और जमीनी समझ से संगठन को मजबूती मिलेगी। वह अब पूरे प्रदेश के मजदूरों की आवाज बनेंगे और संगठन के माध्यम से अपनी बात बुलंद कर सकेंगे।
कांग्रेस के लिए एक चेतावनी
ध्रुव कुमार ‘लंगूर’ सोनी का कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। यह कांग्रेस के लिए एक चेतावनी भी है कि अगर वह जमीनी नेताओं को नजरअंदाज करती रही, तो पार्टी और अधिक खोएगी। अब देखना यह है कि कांग्रेस इस चेतावनी को समझती है या नहीं।
विश्लेषण
ध्रुव कुमार ‘लंगूर’ सोनी का कांग्रेस छोड़ना एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम है। यह दिखाता है कि जमीनी नेताओं को नजरअंदाज करना किसी भी पार्टी के लिए घातक हो सकता है। भारतीय मजदूर संघ के लिए यह एक बड़ा मौका है कि वह सोनी के अनुभव और जमीनी समझ का लाभ उठाकर अपनी स्थिति मजबूत कर सके।
भविष्य की संभावनाएं
अब देखना यह है कि ध्रुव कुमार ‘लंगूर’ सोनी की नई भूमिका में वह कितना सफल हो पाते हैं। क्या वह भारतीय मजदूर संघ को मजबूत बना पाएंगे? क्या कांग्रेस इस चेतावनी को समझकर अपनी रणनीति में बदलाव करेगी? इन सवालों के जवाब आने वाले समय में मिलेंगे।
निष्कर्ष
ध्रुव कुमार ‘लंगूर’ सोनी का भारतीय मजदूर संघ में शामिल होना एक बड़ा बदलाव है। यह बदलाव न केवल छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जमीनी नेताओं को सम्मान और मंच देने से संगठन मजबूत हो सकता है।

