गुटखा फैक्ट्री पर कार्रवाई या लीपापोती ? सुपारी जब्त कर बाकी सब छुपाया गया, निरीक्षक की भूमिका संदिग्ध – मंत्रालय से अधिकारियों ने लिए दोबारा वाहन उपलब्ध सामग्रियों के नमूने

जिले में गुटका से जुड़े कारोबार को लेकर लगातार मीडिया में सुर्खियां बनने के बाद आज बड़ी जांच करवाई दुर्ग के कोनारी गांव के में हुई जहां रायपुर मंत्रालय से दो सहायक खाद्य नियंत्रक कोमल फुड्ड कंपनी में एरिया ऑफिसर रिचा शर्मा द्वारा दो बार जांच करने की रिपोर्ट मीडिया में छपने के बाद जांच करने के लिए टीम पहुंची हुई थी। आपको बता दें खाद्य विभाग की अधिकारी ऋचा शर्मा 4 जून को एक बंद फैक्ट्री में दबिश दी किन्तु उक्त दिन ऋचा शर्मा द्वारा किसी तरह की कोई ऐसी कार्यवाही नही की गई जो उल्लेख योग्य हो इतनी बड़ी मात्रा में सुपारी एवं अन्य गुटखा सामग्री उपलब्ध होने के बाद भी लगभग शून्य कार्यवाही का ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों ने विरोध किया मिडिया की मौजूदगी के बाद भी कार्यवाही ना होने उपरान्त दुसरे दिन मिडिया कर्मियों ने जब इसकी जानकारी जिलाधीश महोदय को दी तब कलेक्टर अभिजीत सिंह के निर्देश पर खाद्य एवं औषधि विभाग ने ०६ जून को एक बार फिर कार्यवाही को अंजाम दिया , जहां गुटखा निर्माण से जुड़ी सामग्रियाँ मिलने के बाद भी केवल सुपारी को ही जप्त किया गया। यह कार्रवाई अब विभागीय लीपापोती और साठगांठ की ओर इशारा कर रही है।
फैक्ट्री में गुटखा निर्माण में प्रयुक्त मेंथॉल, एसेंस लिक्विड, इलायची और सुपारी काटने की मशीनें भी मौजूद थीं, लेकिन विभाग की एरिया ऑफिसर रिचा शर्मा द्वारा सिर्फ डेढ़ करोड़ मूल्य की सुपारी को ही जब्त करना – उनकी मंशा और भूमिका दोनों पर संदेह उत्पन्न करता है एवं कई तरह के सवालों को जन्म देता है .
कार्रवाई के दो दिन बाद हुई जब्ती, विभाग की नीयत पर सवाल
जानकारी के अनुसार 4 जून को रिचा शर्मा के नेतृत्व में दबिश दी गई, लेकिन जब्ती की कार्रवाई 6 जून को की गई। 4 जून की दोपहर से रात तक फैक्ट्री में विभागीय अधिकारी मौजूद रहे, लेकिन न तो तत्काल जब्ती हुई और न ही अन्य गुटखा सामग्री को सील किया गया।
जब 5 जून को मामले की शिकायत कलेक्टर से की गई, तब जाकर 6 जून को सुपारी को जब्त किया गया — क्या यह प्रशासन को गुमराह करने और समय गंवा कर साक्ष्य मिटाने की कोशिश थी?
मीडिया को मौके से दूर रखने की कोशिश – सच्चाई पर परदा डालने की कवायद?
4 जून को जैसे ही मीडिया को कार्रवाई की सूचना मिली, वे मौके पर पहुंचे, लेकिन एक घंटे तक फैक्ट्री में प्रवेश नहीं करने दिया गया। बाद में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के दबाव पर मीडिया को प्रवेश मिला, तब जाकर उन्होंने देखा कि फैक्ट्री में गुटखा निर्माण की तमाम सामग्रियाँ मौजूद थीं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि फैक्ट्री नशे के अड्डे के रूप में बार-बार उपयोग में लाई जा रही है और विभागीय अफसरों की ढिलाई से ऐसे लोग लगातार कानून की आंखों में धूल झोंकते रहे हैं।
क्या यह मिलीभगत है या कर्तव्य से भ्रष्टाचार की ओर गिरावट?

  1. जब अन्य नशीली सामग्री बरामद हुई, तो उसे जब्त क्यों नहीं किया गया?
  2. दो दिन की देरी में क्या सबूत मिटाने का मौका दिया गया?
  3. क्या एरिया अफसर ने जानबूझकर कार्रवाई को सीमित रखा?
  4. विभाग ऐसे दोहराव वाले अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा?
    इन्हीं सब सवालों के जवाब ढूंढने आज मंत्रालय के टीम दुर्ग पहुंची हुई थी जिन्होंने सभी वाहन उपलब्ध सामग्रियों के नमूने ले लिए हैं आने वाले भविष्य में पता चलेगा कि अब एरिया ऑफिसर रिचा शर्मा के ऊपर क्या कार्रवाई की जाती है

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