2022 में नगर निगम दुर्ग में हुए आत्महत्या कांड का जल्द होगा बड़ा खुलासा-आरटीआई से सामने आ सकती है चौंकाने वाली सच्चाई, सुसाइड नोट में उगले गए निगम के राज!

-दुर्ग,,2022 में नगर निगम दुर्ग क्षेत्र से सामने आए एक बेहद दर्दनाक और चौंकाने वाले आत्महत्या मामले ने अब एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। इस मामले में अब एक आरटीआई के माध्यम से बड़े खुलासे की संभावना है। जिस आत्महत्या को एक सामान्य मामला बताकर दबाने की कोशिश की गई थी, अब वही मामला नगर निगम की अंदरूनी सड़ांध को उजागर करेगा।

मृतक सफाई कर्मी, जिनका नाम प्रशासन ने अभी तक आधिकारिक रूप से उजागर नहीं किया है, और आत्महत्या करने से पहले एक दिल दहला देने वाला सुसाइड नोट छोड़ा था। उस सुसाइड नोट में नगर निगम दुर्ग के एक प्रभारी अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए गए थे।

“छुट्टी मांगी तो सैलरी काट दी जाती है… मजबूर होकर कर रहा हूं आत्महत्या!”

सुसाइड नोट में लिखा था कि मृतक कर्मचारी लगातार छुट्टी मांग रहा था, लेकिन अधिकारी छुट्टी देने से इनकार कर रहे थे। उल्टा अगर कर्मचारी ने छुट्टी ले ली, तो उसकी सैलरी काट ली जाती थी। मानसिक तनाव इतना बढ़ चुका था कि आखिरकार व्यक्ति ने आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम उठा लिया।

इस मामले में अब एक नया मोड़ तब आया जब यह आरोप सामने आए कि निगम प्रशासन ने सुसाइड नोट को दबा दिया, और वह भी नगर निगम के एक उच्च अधिकारी के इशारे पर! सवाल यह उठ रहा है कि क्या किसी बड़ी साजिश के तहत इस संवेदनशील दस्तावेज़ को छुपाया गया? क्या नगर निगम के भीतर चल रहे शोषण और उत्पीड़न को छुपाने की कोशिश की जा रही है?

आरटीआई से होगा पर्दाफाश?

सूत्रों के अनुसार, एक सामाजिक कार्यकर्ता ने इस मामले से संबंधित सभी दस्तावेज़ों की जानकारी के लिए सूचना के अधिकार (RTI) के तहत आवेदन दिया है।जानकारी मिलते ही 2022 के इस आत्महत्या कांड से जुड़ी परतें एक-एक कर खुलेंगी

नगर निगम दुर्ग में मानवाधिकारों का हो रहा हनन?

यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की आत्महत्या नहीं, बल्कि एक पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है। क्या नगर निगम दुर्ग में कर्मचारियों को इंसान नहीं, मशीन समझा जाता है? क्या छुट्टी लेने की गुहार लगाना कोई अपराध है? और अगर नहीं, तो फिर ऐसी अमानवीयता क्यों?

समाज और सिस्टम के लिए एक आईना

यह आत्महत्या सिर्फ एक मौत नहीं है, यह समाज और व्यवस्था की एक ऐसी तस्वीर पेश करती है, जो हमें झकझोर देने के लिए काफी है। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह सिर्फ एक मामला नहीं रहेगा – यह एक ट्रेंड बन सकता है, जहां सिस्टम की चक्की में पिसते आम कर्मचारी खुद को खत्म करने पर मजबूर हो जाएं।

यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई………

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