करोड़ों खर्च फिर भी बूँद बूँद को तरस रहे क्षिप्रा किनारे वाले 300 गांव,,25 फ़रवरी को हल्लाबोल का एलान

मां गंगा को धरती पर लाने वाले भगीरथ जैसा कोई मां क्षिप्रा का ‘भगीरथ’ कौन बनेगा क्योंकि क्षिप्रा नदी को नर्मदा से लिंक करने के बावजूद लोग पानी को तरस रहे हैं। जब 2028 में क्षिप्रा किनारे उज्जैन में सिंहस्थ होना है उससे पहले हर साल इन दिनों में ही क्षिप्रा नदी सुखी पड़ी रहती है । इसके विरोध करते हुए ग्रामीणों ने नदी में प्रदर्शन किया । क्षिप्रा नर्मदा लिंक परियोजना का पानी छोड़ने की मांग को लेकर पटाड़ा समेत कई गांवों के लोग लगातार बैठकें कर रहे हैं और माँग कर रहे हैं कि नर्मदा से जल्द पानी छोड़ा जाये। इस मामले में बड़ी रैली आयोजित की जा रही है। *इंदौर और देवास जिले के सैकड़ों गांवों के किसान 25 फरवरी मंगलवार के दिन सेमलिया चाऊ और पटाड़ा समेत क्षिप्रा नदी के किनारे प्रदर्शन करेंगे। सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच होने वाले इस हल्लाबोल का सीधा संदेश सरकार को देना है और ये याद दिलाना है सैकड़ों करोड़ खर्च कर नर्मदा को क्षिप्रा से जोड़ा गया फिर भी क्षिप्रा किनारे वाले करीब 300 गांव पानी की किल्लत झेल रहे हैं।
किसान नेता हंसराज मंडलोई ने आरोप लगाया कि साँवेर के विधायक ही प्रदेश के जल संसाधन मंत्री हैं फिर भी ये हालत है।उद्योगों, संस्थाओं और नगर निगमों को पानी दिया जा रहा है लेकिन इंदौर-देवास-उज्जैन के अन्नदाता किसान और ग्रामीण एक-एक बूंद को तरस रहे हैं। जल्द से जल्द नर्मदा से क्षिप्रा में पानी छोड़ा जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *