दुर्ग। चेक बाउंस के दो अलग-अलग मामलों में न्यायालय ने फैसला सुनाया है। ऋण लेने के बाद उसके बदले दिया गया चेक अनादरित हो गया था।बैंक से ऋण लेने वाले आरोपी पति व पत्नी को न्यायालय ने सजा सुनाई है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग श्रीमती श्वेता पटेल की कोर्ट ने आरोपी दीनदयाल चंद्राकर को 6 माह के साधारण कारावास, धारा 357 (1)(बी) के तहत 7.50 लाख रुपए प्रतिकर की राशि से दंडित किया है। प्रतिकर राशि न दे पाने पर तीन माह के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा सुनाई है। इसी तरह दूसरे मामले में श्रीमती सरोजनी चंद्राकर पति दीनदयाल चंद्राकर को 6 माह के साधारण कारावास तथा 7,80,000 रुपए प्रतिकर राशि से दंडित किया है। प्रतिकर राशि न देने पर तीन माह के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। मामले में अधिवक्ता मोहम्मद शफीक खान ने पैरवी की थी।
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक शाखा कुरूद भिलाई से अभियुक्त दीनदयाल चंद्राकर ने वर्ष 2013 में 7: 50 लाख रुपए एवं 15 लाख रुपए का आवास ऋण बैंक से लिया था। ऋण भुगतान के लिए दीनदयाल चंद्राकर ने 19, 16,815 रुपए का चेक छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक शाखा कुरूद के शाखा प्रबंधक को दिया था। खाता में रकम न होने के कारण चेक अनादरित हो गया था।
अधिवक्ता मोहम्मद शफीक खान ने बताया कि इसी तरह श्रीमती सरोजनी चंद्राकर पति दीनदयाल चंद्राकर ने 10 मई 2013 को छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक शाखा कुरूद भिलाई बैंक से लोन लिया था। ऋण का भुगतान करने के एवज में भारतीय स्टेट बैंक शाखा एसीसी जामुल का 7.80 लाख रुपए का चेक दिया था ।खाता में पर्याप्त राशि न होने के कारण वह चेक भी अनादरित हो गया था।