ज्येष्ठ पूर्णिमा-स्नान पूर्णिमा 22 जून 2024 समय- सुबह:-8 बजे से स्नान पूर्णिमा समारोह के दिन, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की विग्रह को मंत्रोच्चार द्वारा गर्भ गृह से बाहर (स्नान वेदी) पर लाया जायेगा देवताओं को स्नान कराने के लिए पानी मंदिर के अंदर स्थित कुएं से एवं स्थानीय शिवनाथ नदी का जल साथ ही
देवताओं को स्नान कराने के लिए सुगंधित,तीर्थ जल के कुल 108 घड़ों का उपयोग किया जाता है। जगन्नाथ पर 35 घड़े, बलभद्र पर 33, सुभद्रा पर 22 और सुदर्शन पर 18 घड़े के जल से स्नान कराया जाता हैं।
किंवदंती है कि अनुष्ठानिक स्नान के बाद देवताओं को बुखार हो जाता है और 15 दिनों के एकांतवास मे चले जाते हैं एवं महाप्रभु जी को 15 दिनों तक भिन्न-भिन्न औषधी युक्त काढा का भोग लगाया जाता हैं और फिर 15 दिनों के बाद पुन: भगवान रोगमुक्त हो स्नान, श्रृंगार कर के अपने रथ मे आरूढ़ हो भक्तों को दर्शन देने हेतु यात्रा के लिए प्रस्थान करते है।
रथे तु वामनं दृष्ट्वा पुनर्जन्म न विद्यते ||
इस वर्ष रथयात्रा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष द्वितीया को 7 जुलाई 2024 दिन रविवार को मनायी जायेगी।