दुर्ग नगर निगम में तानाशाही का त्रासदीभरा चेहरा

दुर्ग नगर निगम में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक सफाई कर्मचारी अशोक कुमार करिहार ने मेडिकल छुट्टी न मिलने पर आत्महत्या कर ली। आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारियों ने उनकी मेडिकल अवकाश की अर्जी को बार-बार नजरअंदाज किया, जिससे वह हताश होकर इस कठोर कदम के लिए मजबूर हो गए।

मामले के मुख्य बिंदु:

  • अशोक कुमार करिहार ने मेडिकल कारणों से छुट्टी की गुहार लगाई थी, लेकिन अधिकारियों ने उनकी अर्जी को नजरअंदाज किया।
  • अशोक कुमार ने अपनी पीड़ा एक पत्र में व्यक्त की, जिसमें उन्होंने अपने साथ हो रही प्रताड़ना का उल्लेख किया।
  • आत्महत्या के बाद, मृतक के बेटे को 10-12 दिनों के भीतर अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई, जबकि यह प्रक्रिया आमतौर पर महीनों लगाती है।
  • इस घटना की न तो पुलिस को सूचना दी गई और न ही पोस्टमार्टम जैसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया।

प्रशासन से मांग:

  • उपायुक्त मोहेंद्र साहू की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच की जाए।
  • मृतक की आत्महत्या की FIR दर्ज हो और पोस्टमार्टम न होने के कारणों की न्यायिक समीक्षा हो।
  • नगर निगम के अनुकंपा नियुक्ति के पुराने सभी लंबित मामलों की फेयर ऑडिट की जाए।
  • संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर चुके अधिकारियों पर त्वरित अनुशासनात्मक कार्यवाही हो।

सोशल मीडिया पोस्ट कैप्शन:

“दुर्ग नगर निगम में तानाशाही का त्रासदीभरा चेहरा! एक सफाई कर्मचारी की आत्महत्या के बाद अनुकंपा नियुक्ति में अनियमितता का आरोप। प्रशासन से मांग है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।

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