दुर्ग का रण : क्या इस बार भाजपा समर्थित पार्षदों की संख्या पहुंचेगी 30 के पर या गुटबाज़ी होगी हावी

दुर्ग / नगर निगम चुनाव के मद्दे नजर भारतीय जनता पार्टी में प्रत्याशी चयन के लिए निचले स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक अलग-अलग प्रकार की चयन समितियां बनाई गई है। दुर्ग जिले के नगरी निकाय चुनाव में दुर्ग नगर निगम सबसे बड़ा नगरीय निकाय है जहां पार्षद टिकट पाने के लिए सत्ताधारी दल होने के कारण भाजपा में उत्साह के साथ जबरदस्त मारामारी है ऐसे में भारी मतों से जीत दर्ज करने वाले दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव दुर्ग नगर निगम में अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को पार्षद टिकट दिलाने के लिए खास रणनीति के तहत काम कर रहे हैं। पिछले दिनों बनी निचले स्तर की चयन समितियों में गजेंद्र यादव ने रणनीति के तहत अपने लोगों को सदस्य रखवाया साथ ही यह भी चर्चा है कि जिसके चलते निचले स्तर से ही चयन समितियां ने गजेंद्र समर्थकों के नाम को पैनल में एक नम्बर में डाला है, जिसके चलते विपक्ष के दौर में संघर्ष करने वाले और वर्षों से काम कर रहे जमीनी स्तर के सीनियर कार्यकर्ताओं में बेहद आक्रोश की स्थिति है। शहर में फैली चर्चाओं के आधार पर दुर्ग शहर के विभिन्न वार्डों से कुछ नाम जो पैनल में शामिल हुए हैं वो सामने आने लगे हैं, जिनमें,
वार्ड 03 – नरेंद्र बंजारे
वार्ड 10 – शेखर चन्द्राकर
वार्ड 11 – अभिषेक पनारिया
वार्ड 12 – अजीत वैद्य
वार्ड 16 – खिलावन मटियारा
वार्ड 19 – रंजीता प्रमोद पाटिल
वार्ड 22 – काशीनाथ कोसरे
वार्ड 23- मनोज सोनी
वार्ड 24 – रामकली चन्द्राकर
वार्ड 30 – श्याम शर्मा
वार्ड 38 – रामचंद सेन
वार्ड 39 – गुलाब वर्मा
वार्ड 43 – अनिकेत यादव
वार्ड 46 – लीलाधर पाल
वार्ड 48 – लोकेश्वरी ठाकुर
वार्ड 50 – बानी संतोष सोनी
वार्ड 51 – साजन जोसफ
वार्ड 52 – गुलशन साहू
वार्ड 53 – विनायक नातू
वार्ड 59 – नीलम शिवेंद्र परिहार
वार्ड 60 – श्वेता ताम्रकार
इसके अलावा अन्य वार्डों में भी विधायक गजेंद्र यादव के ऐसे समर्थकों के नाम पैनल में शामिल किए गए हैं जिन्हें पार्टी में सक्रिय हुए मात्र 1 साल ही हुए हैं। विधायक गजेंद्र यादव के द्वारा अयोग्य लोगों को सामने लाने के कारण भाजपा में बड़ी संख्या सीनियर नेताओं के बगावत करने के आसार नजर आ रहे हैं। भाजपा में बगावत होने का सीधा असर पार्षदों में अल्पमत के रूप में दिखाई देता है पहले भी हर निगम चुनाव में बगावत के कारण ही भाजपा पार्षदों के आधार पर कभी भी बहुमत में नहीं आई है। 2004 में नगर निगम चुनाव में महापौर पद में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद भी पार्षदों के मामले में अल्पमत में ही थी।
प्रत्याशी चयन में यदि सक्रीय और वार्ड में लोकप्रिय दावेदारों को दरकिनार किया जाता है तो भाजपा के लिए यह निगम चुनाव में भी पार्षदों की संख्या अल्पमत की हो सकती है .दुर्ग क्षेत्र में भाजपा ने कई प्रत्याशी उनकी पसंद तो कई नापसंद के उतारे जाने की संभावना हैं। इससे दुर्ग निगम पार्षद तक पहुंचने में सत्ता की सीढ़ी कहे जाने वाले दुर्ग के समीकरण रोचक हो गए हैं। कई सीटों पर भाजपा में खेमेबंदी से कांग्रेस को फायदा नजर आ रहा है ठण्ड के इस मौसम में राजनितिक गर्मी पुरे उबाल पर होगी और नित नए नए समीकरण भी चर्चो में रहेंगे और एक रोचक मुकाबला से आम जनता रूबरू होंगे ……

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