दुर्ग। इन दिनों शहर में लगातार अपराध बढ़ते जा रहे हैं। नशा करने के बाद आपसी विवाद के चलते चाकू बाजी, हत्या आदि की घटनाएं आम हो चुकी है। इसका सबसे बड़ा कारण नशा है जो कि असामाजिक तत्वों को आसानी से उपलब्ध हो रहा है। पुलिस की ढिलाई का ही नतीजा है कि सार्वजनिक जगहों पर नशा करके अपराध करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। शहर के संचालित देसी और अंग्रेजी शराब दुकान, बार देर रात तक खुले रखे जा रहे हैं जिसमें असामाजिक तत्वों को आसानी से शराब उपलब्ध हो रहा है और उसका सेवन करने के बाद वह रात में मारपीट, चाकू बाजी, चोरी आदि की घटनाओं को करने में पीछे नहीं है। शहर के कई बार ऐसे हैं जो देर रात तक खुले रहते हैं परंतु पुलिस इसे अनदेखा कर रही है। पुलिस बार वालों पर कार्रवाई न कर जो वहां से निकलकर अपने घर वापस लौटते हैं उन्हें ही पकड़कर कार्रवाई कर रही है। यदि बार ही चालू नहीं रहेंगे तो लोगों को देर रात तक नशा कहां से उपलब्ध होगा।
शराब ठेकेदार मनमानी तरीके से अपनी दुकानों को खोल रहे हैं और शराब बेचने का काम कर रहे हैं। इससे नगर में बस स्टैंड ,रेलवे स्टेशन सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नशा करने वालों का बोलबाला बढ़ गया है और वह उत्पाद मचाकर लोगों को परेशान करते हैं, वहीं अपराधों का ग्राफ भी लगातार बढ़ता जा रहा है। नशा करने के बाद मारपीट कर चाकू बाजी करना आम हो चला है। स्टेशन रोड, तिराहा, प्रमुख मार्गो सहित अन्य जगहों पर देसी और अंग्रेजी शराब की दुकानें संचालित हो रही है, जो देर रात तक प्रारंभ रहती है। शराब दुकान बंद होने के बाद शहर में जगह-जगह खुले बार में शराब परोसने का काम देर रात तक चालू रहता है। नगर में संचालित कई देशी और अंग्रेजी शराब दुकान, बार आबकारी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं और इस ओर आबकारी विभाग या पुलिस विभाग का ध्यान नहीं जा रहा है। पुलिस की अनदेखी आम जनता पर भारी पड़ रही है। रात में सड़कों पर शराबी झूमते, गाली गलौज करते हुए देखे जा सकते है। इससे आम जनता परेशान है। लोगों का कहना है कि पुलिस की सांठगांठ होने के कारण शराब परोसने वाले बार संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। पिछले दिनों मोहन नगर थाना क्षेत्र में हुई चाकू बाजी की घटना के बाद लोगों में आक्रोश व्याप्त हो गया था और वे थाना में प्रदर्शन तक कर चुके हैं। क्षेत्र की जनता नशा खोरो असामाजिक तत्वों से परेशान हो रही है। इस ओर पुलिस की अनदेखी आम जनता पर भारी पड़ती जा रही है।
